पहाड़ुका गांवुमां क्या हूड़ूंचा, वखका लोग कनखै रैणाछीना और वखकि जिन्दगी कदगै तरैसे मुश्किलमा प्वड़िंचा यांकि चिन्ता केन्द्रीय और राज्य सरकार थै इलै नीचा किलैकि वख चुनावा खुणै ज्यादा लोग निछीं। यदि भ्वालि भटै गढ़वलि लोग दस-दस बारह-बारह लौड़ा-बाला पैदा कैरिकी गढ़वालमै रैंदिना ता चारों तरफ का नेता फिर वखका लोगों कि चिन्ता जरूर करारला।
इलै मेरी वखकि लोगुथैं सलाह चा कि वो अपड़ि-अपड़ि मौ ढंग से बड़ांवा। एक ना, द्वी ना, तीन ना बल्कि आठ-आठ दस-दस लौड़ा-बाला पैदा कारा। पहाड़ुंकू विकास खुणै, वखका लोगुंकू बारामा राष्ट्रीय राजनीति का ध्यान खिंचणाखुणै एक ही तरीकाच। और वोच वखकि स्थानीय जनसंख्या मा बढ़ोतरी। अगर यो काम ह्वैजालु ता उत्तराखण्ड थै सबकु आकर्षणु कु केन्द्र बण्ाणम देर नि लगलि।
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